कविताएं और भी यहाँ ..

Thursday, September 27, 2012

अजब है ...

उनकी ही शख्शियत के नीचे ,
उनका ही वजूद दबा पड़ा है ,
अजब है जब कद बढ़ता है,
तब तब नज़र से गिर पड़ते हैं|

इतना बड़ा नाम हो गया, 
कि अब बड़ा आम हो गया,
वो चल भी न पाए ठीक से,
उस नाम से सड़क चलती है  |

अजब हालात है मौसम के,
सच सुनते पसीने छूटते है ,
जो बर्फ़बारी  का दिन था ,
तब दिल जलते हुए देखे है |

Friday, September 14, 2012

बस यूँ ही !!



अब हौसले से ही लानी है ये नाव किनारे पे
कि जो अब बहाव से डरा तो मैं मर जाऊँगा |
मैंने  उम्मीद के भरोसे ही काटी है काली रातें ,
और वो सोचते है कि मैं  अँधेरे से डर जाऊँगा

Sunday, September 2, 2012

बिसरे शब्द ...


एक तीली ही तो जलानी है ..
फिर सब  ख़त्म ...
ये कुछ पन्ने,
जो फडफडा रहे हैं ..
फिर राख बन जायेगे ..
कौन  पढ़ेगा राख पे लिखे शब्द  ...

एक लहर ही तो आनी है ,
फिर सब  ख़त्म ...
ये कुछ अक्षर,
जो झिलमिला  रहे हैं,
फिर रेत बन जायेगें ..
कौन  पढ़ेगा  पानी में घुले  शब्द    ...

ये झौका ही तो आना है ,
फिर सब  ख़त्म  ...
ये कुछ अक्षर,
जो सरसरा रहे हैं,
फिर मरु बन जायेगें ..
कौन  पढ़ेगा हवा में उड़े  शब्द   ...

एक मौत ही तो आनी है ,
फिर सब  ख़त्म 
ये कुछ अक्षर,
जो गुनगुना रहे हैं,
फिर याद  बन जायेगें ..
कौन  पढ़ेगा याद में बिसरे  शब्द    ...

सब एक कहानी है ..
शब्दों से लिखी हुई.
सब आया ,
आग, पानी, हवा और मौत ...
बस एक तुम नहीं आये ...
आखिर तक ..