कविताएं और भी यहाँ ..

Monday, July 22, 2013

Wife wrote new one ....

जो पास है वो कभी ख्वाहिश थी अपनी,
पर आज ख्वाहिश ही कुछ और की है । 

क्यूँ  आगे निकल जाती है ख्वाहिशें ,
छोड़कर पीछे हर मुकाम ..

काश थम जाती ये कही पर 
और जी लेते हम थोडा ..

या दौड़ पाते हम तेज़ इतना
कि हर ख्वाहिश के पहले मुकाम होता ।

Friday, April 19, 2013

सिर्फ वही बेमिसाल है...


जो क्षितिज पे है ,
वो विशाल है ,
सिर्फ वही बेमिसाल  है ?

जो पास है,
जो साथ है,
जो आज अपने
हाथ है,
उसकी कोई बिसात है ?

वो जो सूर्य है ,
वो तेज़ है ,
वो उग्र है,
पर रात भर
जो दिया  जला,
सुबह तलक
वो बुझ गया ,
उसकी क्या
औकात है ?

जो नज़दीक था
एक उम्र ,
उसकी कोई क़द्र है ?
या फिर
उसकी याद भी ,
सर्द है ?

जो ना मिला ,
उसके बिना ,
ज़िन्दगी का ,
हिसाब क्या ?

पर ज़िन्दगी ,
कोई सामान है  ?
फिर नकाब क्यों ,
इसका फिर
हिसाब क्यों ?
इसमें भी
नुक्सान नफा ?

ज़िन्दगी ना हुई,
दूकान हुई ,
हर साँस भी ,
सामान हुई ?
भूल हुई ,
या चूक थी ,
जो पास था ,
नाखास था ,
नज़र में ,
तो सिर्फ चाँद था ,
कि जो दूर है ,
वही ख़ास है ,
वही बेमिसाल है ..

Monday, March 11, 2013

क्या लिख दूं ?


सुना है ज़िन्दगी के मायने बदल रहे हैं ,
घरों के देखो लोग आईने बदल रहे हैं !

मैं तो ये सोचकर ही  दहशत में हूँ भाई ,
लोग दोस्ती के भी दायरे बदल रहे है ।

कभी मैं ठोकर पे गिरा  था एक दिन ,
बाज़ार में उसके मुशायरे चल रहे हैं ।

उलझा हूँ, रौशनी का इंतज़ाम कैसे हो,
जब छतों पे जुगनू बेहिसाब चल रहे हैं ।

हवाओं की ठंडक जेहन तक क्यों नहीं , 
जब ज़िन्दगी में इतने तूफ़ान चल रहे हैं ।

छोड़कर जाए कहाँ मुसाफिर ज़िन्दगी को,
उसके भी तो कहाँ सही दाम मिल रहे है ।  

तमाम उम्र का यही बही खाता बना है ,
वो ख़ाक समंदर हूँ जो गहरा भी नहीं है  ।

Thursday, February 14, 2013

बात ..

कही पे किरदार की बात आ गई ,

कभी अधिकार की बात आ गई ..
अब सिक्के के पहलू सा हो गया हूँ ,
करवटों पे जीत- हार की बात आ गई ..

अब जुबाँ का क्या है, पलटती रहे ,
लेकिन यहाँ वफ़ा पे बात आ गई ..
किस्मत का गुलाम होगा कोई और ,
किस्मतों से लड़ने की बात आ गई ।

अपने बीच एक चुप्पी की ही दूरी है ,
अब तो वो तोड़ने की बात आ गई ,
पर बात शुरू हो तो कब हो, कैसे हो ?
तेरी उन सब ठोकरों की याद आ गई .

तेरे कदम से कदम मिलाकार चलना,
वाकई मुश्किल होता होगा ?
कि कही रौंदकर ना निकल जाओ ,
यही आत्मसम्मान की बात आ गई !!