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Monday, July 22, 2013

Wife wrote new one ....

जो पास है वो कभी ख्वाहिश थी अपनी,
पर आज ख्वाहिश ही कुछ और की है । 

क्यूँ  आगे निकल जाती है ख्वाहिशें ,
छोड़कर पीछे हर मुकाम ..

काश थम जाती ये कही पर 
और जी लेते हम थोडा ..

या दौड़ पाते हम तेज़ इतना
कि हर ख्वाहिश के पहले मुकाम होता ।