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Thursday, August 14, 2014

बिटिया के लिये !!

तेरे आने से जाना मैंने,
कि ,
खुशियों का वजन भी होता है ,
करीब तीन किलोग्राम ,
और एक अदद माप भी ,
करीब बीस इंच।
और खुशियाँ श्वास भी लेती हैं,
और उठाया जा  सकता है ,
खुशियों  को गोद में भी।
फिर सारा संसार ,
सिमट  जाता  है ,
उन हाथों में ,
जिन पर ,
कभी  इतना
यकीन भी ना था।
तेरे होने ने बताया मुझे ,
कि  जीवन ,
इतना कोमल भी होता है ,
और  इतना मासूम भी ।
मेरे सारे तर्क -वितर्क ,
मेरे सारे संशय ,
मेरे सारे  किन्तु-परन्तु ,
मेरे सारे अगर-मगर ,
इन सबका उत्तर ,
जो मैं ढूंढता फिर रहा था।
जो दौड़ की आपाधापी थी ,
जिससे जूझता फिर रहा था ,
वो सब शुन्य हो गया था ,
कहीं हवा में घुल गया था ।
जब  मैंने इन्हीं हाथों से,
अपनी खुशियों को छुआ था ।