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Thursday, October 1, 2009

तमन्ना हूँ

तमन्ना हूँ , पूरा मत करना ,
ख़त्म हो जाऊँगा मैं ,
एक सपना ही तो हूँ पूरा कर देना
वर्ना दफ़न हो जाऊँगा मैं ...
कही से कोई आवाज़ आये
तो ठिठककर सुन लेना ,
वर्ना आवाज़ के इन जंगलों में ,
गुम हो जाऊँगा मैं .
दीवारें उग रही है
दरख्तों की तरह यहाँ पर ,
पत्थेर के सूखे पत्तों सा
सुख ही जाऊँगा मैं ,
अपने हर रास्ते से
हटा देना मुझको तुम ,
पात्थर ही तो हूँ
ठोकर मार जाऊँगा मैं ,
एक नगमा ही रह गया ,
किसी महफिल में न कहना ,
वर्ना आज की रात ही बस ,
फिर ख़त्म हो जाऊँगा मैं ..

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