कहा कृष्ण ने,
अर्जुन !!
ये क्या ,
तुम खुद को भूले ...
तुम गांडीव चलाना भूले ?
द्वापर में तो तुम,
चिड़िया की आँख
भेदते थे ,
और अब ऐसे भटके,
कि धनुष उठाना भूले |
इस पर,
अर्जुन बोला,
क्षमा करे भगवन,
पर मैं कुछ नहीं भूला,
भटके तो आप है,
तो अभी तक
गीता नहीं भूले |
अरे...
गांडीव चला के,
मुझे क्या अपना
"स्टेटस" गिराना है |
कुछ तो समझो,
ये ऐ के ४७ का ज़माना है |
3 comments:
कविता क़ाबिले-तारीफ़ है।
nice
Mast hai....Mahabharat with new touch..and new realities..
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