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Monday, June 25, 2012

No title ....


जो शाम हुई सो डूब गया ..
ऐसा सूरज किस काम का ?

जो बदले हालात छूट गया ,
ऐसा साथ किस काम का  ?

तेरे भरोसे अकेला चल पड़ा,
तेरा  हौसला सिर्फ नाम का ?

मेरा नाम फिर गुमनाम है,
मेरा पता किस काम का ?

मेरे ईमान का मैं गवाह हूँ,
पूछना क्यों किस दाम का ?

तेरे जवाब फिर हज़ार है ,
हर सवाल का कत्लेआम सा  ?

मेरा आइना अब साफ़ है,
पर मेरा चेहरा बदनाम सा ?

मेरे घुटनों में कोई चोट है ,
और तेरे लिए मैं नाकाम सा ?

-Mayank Goswami