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Wednesday, September 8, 2010

ये पंक्तियाँ लिखी गई है एक बच्ची के दूसरे जन्मदिवस के अवसर पर मुद्रित होने वाले निमंत्रण पत्र के लिए.. पढ़कर देखिये ... 
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मैं और मेरी पूरे चाँद सी ये चिड़िया, पूर्ण होते है एक दुसरे से,
और जब इसके नन्हे से हाथ थोडा सा आगे बढ़कर छूते है मुझे ,
तो इसके होने का एहसास किसी ईश्वर की कल्पना से कम नहीं|
जीवन के ये दो छोटे से साल, इन मुस्कुराहटो में कैसे बीत गए,
और देखो एक नया साल फिर दरवाजे पे दस्तक देने आ गया |
तब समझ आया कि इन दो खूबसूरत सालो का शुक्रिया अदा करना है,
ताकि ये साल हज़ारो सालो तक यू ही दस्तक देते रहे मेरे दरवाजे पे..
और मेरे घर हर साल यूँ ही हंसती खिलखिलाती आती रहे ज़िन्दगी ..
आप भी आइयेगा, ज़िन्दगी को बढ़ते हुए देखने और उसे सराहने के लिए ...