कविताएं और भी यहाँ ..

Monday, May 28, 2012

मैंने देखा है..


गई शाम ज़िन्दगी को कसौटी पे कसके देखा है,
होते ही अँधेरा, परछाई को भी दूर जाता देखा है ...

देखा है बदलते रंगों को भी, जो बदस्तूर जारी है..
मैंने वक्ते जरूरत जेबों को होते हुए गहरा देखा है ...

मैंने तो ये भी देखा है कि वादों की उम्र कितनी है,
मैंने झुर्रियों से झांकता हुआ इंतज़ार भी देखा है ..

मैंने देखा है गिरगिटों औ' लोगों को साथ साथ,
मैंने तो सारी कसमों को भी रंग बदलते देखा है..

हर जुबाँ को उलटते पलटते देखा है मैंने बार बार,
मैंने आज ही हर शब्द का सही मतलब देखा है  ...

मैंने आँखों से परे देखा है और दिल से परे भी ,
मैंने आज ही कही खुदा का नया मतलब देखा है ..

मेरी आँखों पे ये पट्टी भी बंधी रहे, मुमकिन है, 
पर मैंने इन अंधेरो को उजालों से बेहतर देखा है 

Thursday, May 24, 2012

असमंजस


तो जो तुझे कभी याद नहीं करना ,
वो क्या है, सब तुम्हे याद रखना है !

अब कुछ जख्म यूँ  ही खुले रखना ,
वक़्त आने वाला आबाद रखना है  ...

मुंह फेर लिया उसने वक्ते जरूरत ,
भूल जा, बस करतूत याद रखना है ..

घर जला अपना, उजालो की खातिर ..
और सिर्फ  उजाले ही याद रखना है ..

साहिलों  पे बदनसीब ही डूबा करते है ,
अब  उथलेपन का हिसाब रखना है .. 

बड़े खुशनसीब हैं वो कुछ लोग यहाँ पे,
उन्हें सिर्फ अपना किरदार याद रखना है ..

और मैं क्या रखू साथ अपने, क्या छोडू,
मुझे बिला याद, वक़्त बेहिसाब रखना है  |

=>Mayank Goswami

Friday, May 11, 2012

तो याद करना छोड़ दिया ?


तो याद करना छोड़ दिया ?   

ह्म्म्म नहीं याद तो अभी भी करता हूँ..
बस अब यादो में रोना छोड़ दिया ..
जो सोना छोड़ना था मुश्किल बड़ा,
सो बस सपनो  में खोना छोड़ दिया ...
कि ये रास्ता बड़ा सख्त है फिर भी,
उस मोड़ को उसी मोड़ पे छोड़ दिया ...
देखो अब हँसना बहुत आसान हो गया,
उसी का का गम था उसी पे छोड़ दिया ..
एक ज़िन्दगी कम है कई कामो के लिए,
जो गैरजरूरी था  हालात पे छोड़ दिया |
कभी खो गया था जो तुममे एक उम्र,
उस उम्र को एक चादर से ओढ़ दिया ... 
फिर एक तू क्या घटा ज़िन्दगी से देख ,
मैंने  साथ  अपने हजारों को जोड़ लिया ..