सबको रहमते बांटना तेरे बस में नहीं ,
-Mayank Goswami
फिर भूख ही बराबर बाँट दे जहाँ में ..
है जो छाँव भी सबको दे पाना मुश्किल ,
तो ये धूप ही तू बराबर बाँट दे जहाँ में ..
मेरे घर की टूटी छत का जो हिसाब है,
वो बरसात भी बराबर बाँट दे जहाँ में ..
वो धुडकी और हिकारत मेरे हिस्से की ,
कहीं उसका भी लेनदार मिल जाए तो ,
तो मेरे हिस्से का कुछ अपमान भी ,
थोडा थोडा बाँट दे तू अपने जहाँ में ..
नहीं मांगता तुझसे कोई दुआ मैं आज ,
मेरी परेशानियां बराबर बाँट दे जहाँ में |
तू जो सबको सब खुशियाँ न दे सका ,
मेरे पास कमियों का खजाना है भरा,
आज मैं गरीबी लुटा रहा हूँ खुले हाथ
बाँट दे सब कुछ बराबर अपने जहाँ में |