आदमी सबसे ज्यादा खुश होता है,
जब तनख्वाहें और ख्वाहिशें,
दोनो कम होती हैं,
कबसे नही हुए नुक्कड़ पर
भजिए,चाय और पान,
लेकिन वो मानता नही है ।
स्त्रियां सबसे ज्यादा खुश तब होती है,
जब बंधन और क्रंदन,
दोनो कम होते हैं,
कबसे नही दौड़ी आड़ी तिरछी,
नहीं आई बेपरवाह नींद,
लेकिन मानती नही है ।
~ मयंक
With inputs from Satya Vyas 🙂