और वो बादल है जो कही चुपचाप बरस गए|
एक खुद में सिमट के खुश रहता है अहंकारी ,
और वो दूसरो की ख़ुशी के लिए खुद मिट गए |
महफ़िल में किसने किसे देखा, बड़ा सवाल है,
और हम उनकी नजरो के लिए ही सवरते गए |
कितनी तमन्नाओ को यु ही अधूरा छोड़ दिया ,
और वो हमें देखे बिना ही चुपचाप गुजर गए |
आदमी खुद को ही देखता रहता है आईने में,
खुद नजरो में गिरते रहे, महफ़िलो में सवर गए |
मुद्दे बड़े है ज़िन्दगी को समझने के लिए दोस्त,
हम चौराहों पे बेबात क़ी बहस में ही उलझ गए |
कहते रहे आबाद रहो, बर्बादी के जश्न में डूबे हुए,
हम जश्न मनाते रहे, वो हमसे आगे निकल गए |
कभी चाहा किसी ने, हम भी उन जैसे आबाद रहे,
अभिमानी हम, आसान रास्ते पर ही बढ़ गए |
रास्ते खेल खेलते है गाहे बगाहे हर किसी के साथ,
कभी बहुत सीधे थे, और कभी मोड़ पर बदल गए |
तुम सीख लो मुझसे कि बादल बनना है या समंदर ,
बादल पसंद थे, पर अरमान समंदर से बड़े हो गए |