कविताएं और भी यहाँ ..

Friday, February 26, 2010

चयन की आज़ादी !!

ये समंदर शोर मचाता रहा कहीं किनारों पर ,
और वो  बादल है जो कही चुपचाप बरस गए|
एक खुद में सिमट के खुश रहता है अहंकारी ,
और वो दूसरो की ख़ुशी के लिए खुद मिट गए |

महफ़िल में किसने किसे देखा, बड़ा सवाल है,
और हम उनकी नजरो के लिए ही सवरते गए |
कितनी तमन्नाओ को यु ही अधूरा छोड़ दिया ,
और वो हमें देखे बिना ही चुपचाप गुजर गए |

आदमी  खुद को ही देखता रहता है आईने में,
खुद नजरो में गिरते रहे, महफ़िलो में सवर गए |
मुद्दे बड़े है ज़िन्दगी को समझने के लिए दोस्त,
हम चौराहों पे बेबात क़ी बहस में ही उलझ गए |

कहते रहे आबाद रहो, बर्बादी के जश्न में डूबे हुए,
हम जश्न  मनाते रहे, वो हमसे आगे निकल गए |
कभी चाहा किसी ने, हम भी उन जैसे आबाद रहे,
अभिमानी हम, आसान रास्ते पर ही  बढ़ गए |


रास्ते खेल खेलते है गाहे बगाहे हर किसी के साथ,
कभी बहुत सीधे थे, और कभी मोड़ पर बदल गए |
तुम सीख लो मुझसे कि बादल बनना है या समंदर ,

बादल पसंद थे, पर अरमान समंदर से बड़े हो गए |

Tuesday, February 9, 2010

कृष्ण अर्जुन संवाद

कहा कृष्ण ने,
अर्जुन !!
ये क्या ,
तुम खुद को भूले ...
तुम गांडीव चलाना भूले ?
द्वापर में तो तुम,
चिड़िया की आँख
भेदते थे ,
और अब ऐसे भटके,
कि धनुष उठाना भूले |
इस पर,
अर्जुन बोला,
क्षमा करे भगवन,
पर मैं कुछ नहीं भूला,
भटके तो आप है,
तो अभी तक
गीता नहीं भूले |
अरे...
गांडीव चला के,
मुझे क्या अपना
"स्टेटस" गिराना है |
कुछ तो समझो,
ये ऐ के ४७ का ज़माना है |

Wednesday, February 3, 2010

मैं और वो !!

एक रात अपने दोहरे व्यक्तित्व के बारे में सोच रहा था तो कुछ पंक्तिया जेहन में आई.. बस उतार दिया कागज़ पर...  !!




आज फिर कट के गिरी है वो पतंग,
जिसने अपना ख्वाब आसमान रखा था,
कोई और सम्हालेगा इसके अरमान अब ,
"उन्होंने" कोई और भी मेहरबान रखा था,
अपनी आरजू को यूँ ना ख़त्म होने दीजिये,
कई लोगो को इसका एहतराम करना था |
सदिया बीतेगी पर दुनिया नाम उसका लेगी,
उसने कुछ यूँ अंदाज -ऐ- बयान रखा था
ख्वाहिशे बहुत सी बाकी है अभी दोस्तों,
सपनों में कुछ और भी सामान रखा था
उसकी याद आये तो बस आखे बंद करिए,
उसने भी आपकी नींदों का अरमान रखा था ....
उसे भूल मत जाना इतनी आसानी से कभी,
उसने भी मशहूर होने का इन्तेजाम रखा था ..
मैं और उसमे ज्यादा फर्क नहीं है दोस्तों,
कभी यूँ हुआ कि मैंने अपने लिए ही "उसका" ,
और उसने भी अनकहे फायदों के लिए मेरा ,
बेचारे ईमान को छोड़कर, दामन थाम रखा था !!