इस ब्लॉग पर मैंने आखिरी कविता कुछ दिन पहले लिखी थी.. लेकिन अब शायद कविता लिखने का हुनर गायब हो गया है रातो रात.. !! अब शायद कभी कुछ नहीं लिख पाऊंगा ... या हो सकता है कुछ दिनों बाद फिर से कोशिश करूँ ... ये ब्लॉग एक कोशिश थी कि जब मैं न रहू तब कोई तो इन कविताओं के द्वारा मुझे जान पाए.. पर लगता है अब कारण ख़तम हो गए है ...
नए कारण मिलने तक .. अलविदा.. हो सकता है ये आखिरी अलविदा हो या हो भी सकता है मैं वापस लौट कर भी आऊं .. लेकिन जब तक मैं वापस नहीं आता तब तक के लिए.. आप सब का शुक्रिया... यहाँ आने के लिए .. इसे सराहने के लिए.. आप सबका दिल से शुक्रगुजार हूँ... और शायद आप सब ही मेरी अगली प्रेरणा बने जो मुझे कुछ और लिखने का कारण दे..
धन्यवाद ..
मयंक गोस्वामी
Saturday, January 15, 2011
Monday, January 10, 2011
प्रेम -५
कुछ जल रहा है अन्दर,
दिल होगा ,
नहीं वो तो कब का ,
डस्ट बिन में फेक दिया था
तो इमोशंश ?
नहीं, वो तो तुमने कहा था,
कि कभी थे ही नहीं मुझमे ?
तो फिर कोई बीमारी है ?
कि अन्दर कुछ जला दे ,
ऐसी किसी बीमारी का नाम पता है ?
नहीं तो ..
तो फिर ?
ईर्ष्या होगी ..
हाँ मुझे अतीत से है ईर्ष्या ?
तुम डॉक्टर को क्यों नहीं दिखाते ?
क्या दिखाऊ ?
शायद कोई सपना जला है ,
और धुंआ बन के उड़ गया ..
ऐसा भी होता है कभी,
कि सपने जल जाए ?
नहीं, सुना तो नहीं मैंने ,
लेकिन आँखों में चुभने वाले,
सपने देखे है ..
जब लोग बदलते है , तो शायद सपने जलते हैं|
वही होंगे ..
झूठी उम्मीदों वाले सपने,
अच्छा हुआ जल गए |
नई शुरुआत करना..
लेकिन अब तो सपने ही नहीं दिखते,
तुमसे बात करना बेकार है,
पहले तो नहीं था ?
समय के साथ सब बदलता है,
लोग भी , अपने भी ?
इसके अलावा,
कोई और बात कर सकते हैं ?
कुछ है ही नहीं ?
मुझे नहीं करनी बात तुमसे |
यही तो जलाता है कुछ ..
शायद अपनापन ?
हाँ वही जलता है हर बार ,
और गाँठ छोड़ जाता है ,
फिर से जलने के लिए ...
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