जो शाम हुई सो डूब गया ..
ऐसा सूरज किस काम का ?
जो बदले हालात छूट गया ,
ऐसा साथ किस काम का ?
तेरे भरोसे अकेला चल पड़ा,
तेरा हौसला सिर्फ नाम का ?
मेरा नाम फिर गुमनाम है,
मेरा पता किस काम का ?
मेरे ईमान का मैं गवाह हूँ,
पूछना क्यों किस दाम का ?
तेरे जवाब फिर हज़ार है ,
हर सवाल का कत्लेआम सा ?
मेरा आइना अब साफ़ है,
पर मेरा चेहरा बदनाम सा ?
मेरे घुटनों में कोई चोट है ,
और तेरे लिए मैं नाकाम सा ?
-Mayank Goswami
1 comment:
Shukriya ...
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