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Tuesday, October 14, 2025

आख़िरकार

आख़िरी कुछ नहीं होता,

आख़िरकार होता है, 

एक लंबे सफ़र में ,

मेरा तुन्हारा 

बस किरदार होता है 

पहले भी,

मेरे बाद भी रहेगा,,

ख़ालीपन,

बस 

कुछ वक्त के लिए,

भर जाता है,

फिर अपने जाने के बाद,

फिर से 

खाली हो जाने के लिए,

तुम्हें पता है ना, 

ब्रह्मांड में सब कुछ 

दूर जा रहा है, 

एक दूसरे से ,

अगर बढ़ रहा है कुछ,

तो वो खालीपन है,

जिसका भी कोई छोर ,

आख़िरी नहीं होता 

- मयंक

Thursday, March 20, 2025

असुविधा

जीवन युद्ध तो नही है,

एक लंबी असुविधा है,
इसीलिए,
मत पहनिए तमगे,
अभिमन्यु, अर्जुनो,
और चक्रव्यूहों के,
क्योंकि युद्ध में,
कोई तो जीतता है,
पर कौन जीता
जीवन से आज तक ?
सिकंदर, नेपोलियन, हिटलर,
सब हारे है अंत में,
और जो बच गए,
वो अब तक भोग रहे हैं,
असुविधा,
अश्वत्थामा की तरह ।

~मयंक गोस्वामी