मैं जब रोशनी में आया तो उंगलिया उठने लगी ,
पर कुछ अपने ऐसे है जो मुझे खोने नहीं देते
कुछ हसरते तकती रहती है मेरी आहटे हरसू,
कुछ सपने मुझे कभी चैन से सोने नहीं देते
मैं जब यहाँ पूरा टूट के बिखरना चाहता हूँ ,
कुछ हाथ ऐसे है, जो जमीन पर गिरने नहीं देते
कभी कहीं जिंदगी में निराश मैं हुआ हु तो ,
ऊपर जो खुदा है वो मुझे कभी रुकने नहीं देते,
और कुछ साथी ऐसे बने है यहाँ पे मेरे हमदम,
कि खुद मिट जाए पर मुझे झुकने नहीं देते
मैं उनके इस अहसान को चुकाऊंगा कैसे ,
जो मुझे कभी जेब में हाथ डालने नहीं देते
कभी कश्तिया मन बना लेती है धोखा देने का
साहिल पे यही हाथ होते है जो डूबने नहीं देते
1 comment:
Gazab :-)
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