मुझे उम्र भर तसल्ली की दवाई देता रहा ,
मरते वक़्त भी वो सिर्फ दुआए देता रहा |
मेरे होने न होने से फर्क इतना पड़ा होगा ,
आंसू निकले भी मेरे लिए तो सफाई देता रहा |
ताउम्र शराफत से जीने का क्या फायदा हुआ,
बेईमानो के शहर में ईमान की दुहाई देता रहा |
किसी ने जब भी देखा , उसे इस अंदाज में देखा ,
कि अन्धो के नगर में सबको दिखाई देना लगा |
हैरत में हूँ कि मेरा चेहरा पहचान खोने लगा है ,
अलग बनने की कोशिश में भीड़ सा सुनाई देने लगा
Friday, July 30, 2010
Sunday, July 25, 2010
करीबी !!
मेरे कमरे की दीवार ,
मेरे हर दुःख को जानती है |
मेरे हर आंसू का,
कारण पहचानती है |
जब मैं उदास होता हूँ,
तो वह कितनी चुपचाप होती है,
और जब होता हूँ व्यग्र,
थोडा चिंतित,
तब कितनी शांति से,
मेरी हर बात को सुनती है |
कभी कभी ,
रात रात भर मेरे साथ,
जागती है ;
और कभी ,
गले लगकर सोती है सारी रात |
उसके रंग मेरा प्रतिबिम्ब हैं,
कभी देखो उस कोने को,
जब मैं रोया था बेसबब,
तब उसके भी आंसुओ की,
वह निशानी बाकी है |
वह बोली थी ,
हार गए,
अभी तो यह ज़िन्दगी आधी है |
मेरे हर दुःख को जानती है |
मेरे हर आंसू का,
कारण पहचानती है |
जब मैं उदास होता हूँ,
तो वह कितनी चुपचाप होती है,
और जब होता हूँ व्यग्र,
थोडा चिंतित,
तब कितनी शांति से,
मेरी हर बात को सुनती है |
कभी कभी ,
रात रात भर मेरे साथ,
जागती है ;
और कभी ,
गले लगकर सोती है सारी रात |
उसके रंग मेरा प्रतिबिम्ब हैं,
कभी देखो उस कोने को,
जब मैं रोया था बेसबब,
तब उसके भी आंसुओ की,
वह निशानी बाकी है |
वह बोली थी ,
हार गए,
अभी तो यह ज़िन्दगी आधी है |
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