प्रभाष , हन्नी "the" गर्ग , प्रशांत भाई, अनिकेत, आनंद जोशी, शैलेन्द्र बहेरा, राम, पंड्या जी , चिली , अमित श्रीवास्तव, विमल प्रधान , मौलिक ,अमोल , श्वेता , मानसी , प्रमोद , गोविन्द, अमित भैया , हिमांशु, साकेत, आशीष अभिषेक, राजीव, मनीष निगम , संदीप दुबे , रवि , सचिन, चेतन , नीरव , सतीश पाटीदार , सतीश चटाप,निलेश और भी बहुत सारे लोग ... माफ़ करना अगर कोई छूट गया हो तो ... बस कागज पे नाम नहीं आया .. दिल में तो है ही ....
------------------------------------
कुछ शामे न ढलें,
तो बेहतर है,
कभी कभी रौशनी भी,
आँखों से सहन नहीं होती |
दोस्त होते है साथ जब ,
तो कैसी भी दिक्कत आये,
पर फरिश्तों की जरूरत नहीं होती |
सिहरन होती है,
हाथ छूटने के डर से ,
लेकिन जब तक डूबोगे नहीं ,
समंदर की इज्ज़त नहीं होती |
मैं जब होता हूँ राहों पे,
लोग कहते है,
धीमे चलता है ,
दोस्त होते तो कहते है ,
कि तेरी उड़ान,
इतने नीचे भी कम नहीं होती |
आज रात गुजर रही है,
चाँद भी गोल दिख रहा है ,
पर मेरे कमरे में ,
बिना दोस्तों के ,
आजकल रौशनी नहीं होती |
मेरी तमन्ना है कि ,
साथ ख़तम न हो कभी,
लेकिन ये जो ज़िन्दगी है ,
साज़िश कर रही है ,
ये बेवफा किसी की,
महबूबा नहीं होती |
रास्ते बदल जायेगे,
कल तुम कही ,
और हम कही जायेगे |
पर एक सच यह भी है,
कि मैं नहीं रहूँगा
जिस दिन यहाँ पे,
कही दूर
दफ़न कर देंगे लोग मुझे |
पर तुम आओगे ,
जिस दिन ,
तब गजल होगी ,
एक शाम होगी ,
कुछ धुंआ होगा ,
और थोडा शुरूर भी
ऐसे भी अब ,
दोस्तों के बिना ,
कोई कविता नहीं होती |
तो बेहतर है,
कभी कभी रौशनी भी,
आँखों से सहन नहीं होती |
दोस्त होते है साथ जब ,
तो कैसी भी दिक्कत आये,
पर फरिश्तों की जरूरत नहीं होती |
सिहरन होती है,
हाथ छूटने के डर से ,
लेकिन जब तक डूबोगे नहीं ,
समंदर की इज्ज़त नहीं होती |
मैं जब होता हूँ राहों पे,
लोग कहते है,
धीमे चलता है ,
दोस्त होते तो कहते है ,
कि तेरी उड़ान,
इतने नीचे भी कम नहीं होती |
आज रात गुजर रही है,
चाँद भी गोल दिख रहा है ,
पर मेरे कमरे में ,
बिना दोस्तों के ,
आजकल रौशनी नहीं होती |
मेरी तमन्ना है कि ,
साथ ख़तम न हो कभी,
लेकिन ये जो ज़िन्दगी है ,
साज़िश कर रही है ,
ये बेवफा किसी की,
महबूबा नहीं होती |
रास्ते बदल जायेगे,
कल तुम कही ,
और हम कही जायेगे |
पर एक सच यह भी है,
कि मैं नहीं रहूँगा
जिस दिन यहाँ पे,
कही दूर
दफ़न कर देंगे लोग मुझे |
पर तुम आओगे ,
जिस दिन ,
तब गजल होगी ,
एक शाम होगी ,
कुछ धुंआ होगा ,
और थोडा शुरूर भी
ऐसे भी अब ,
दोस्तों के बिना ,
कोई कविता नहीं होती |