प्रभाष , हन्नी "the" गर्ग , प्रशांत भाई, अनिकेत, आनंद जोशी, शैलेन्द्र बहेरा, राम, पंड्या जी , चिली , अमित श्रीवास्तव, विमल प्रधान , मौलिक ,अमोल , श्वेता , मानसी , प्रमोद , गोविन्द, अमित भैया , हिमांशु, साकेत, आशीष अभिषेक, राजीव, मनीष निगम , संदीप दुबे , रवि , सचिन, चेतन , नीरव , सतीश पाटीदार , सतीश चटाप,निलेश और भी बहुत सारे लोग ... माफ़ करना अगर कोई छूट गया हो तो ... बस कागज पे नाम नहीं आया .. दिल में तो है ही ....
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कुछ शामे न ढलें,
तो बेहतर है,
कभी कभी रौशनी भी,
आँखों से सहन नहीं होती |
दोस्त होते है साथ जब ,
तो कैसी भी दिक्कत आये,
पर फरिश्तों की जरूरत नहीं होती |
सिहरन होती है,
हाथ छूटने के डर से ,
लेकिन जब तक डूबोगे नहीं ,
समंदर की इज्ज़त नहीं होती |
मैं जब होता हूँ राहों पे,
लोग कहते है,
धीमे चलता है ,
दोस्त होते तो कहते है ,
कि तेरी उड़ान,
इतने नीचे भी कम नहीं होती |
आज रात गुजर रही है,
चाँद भी गोल दिख रहा है ,
पर मेरे कमरे में ,
बिना दोस्तों के ,
आजकल रौशनी नहीं होती |
मेरी तमन्ना है कि ,
साथ ख़तम न हो कभी,
लेकिन ये जो ज़िन्दगी है ,
साज़िश कर रही है ,
ये बेवफा किसी की,
महबूबा नहीं होती |
रास्ते बदल जायेगे,
कल तुम कही ,
और हम कही जायेगे |
पर एक सच यह भी है,
कि मैं नहीं रहूँगा
जिस दिन यहाँ पे,
कही दूर
दफ़न कर देंगे लोग मुझे |
पर तुम आओगे ,
जिस दिन ,
तब गजल होगी ,
एक शाम होगी ,
कुछ धुंआ होगा ,
और थोडा शुरूर भी
ऐसे भी अब ,
दोस्तों के बिना ,
कोई कविता नहीं होती |
तो बेहतर है,
कभी कभी रौशनी भी,
आँखों से सहन नहीं होती |
दोस्त होते है साथ जब ,
तो कैसी भी दिक्कत आये,
पर फरिश्तों की जरूरत नहीं होती |
सिहरन होती है,
हाथ छूटने के डर से ,
लेकिन जब तक डूबोगे नहीं ,
समंदर की इज्ज़त नहीं होती |
मैं जब होता हूँ राहों पे,
लोग कहते है,
धीमे चलता है ,
दोस्त होते तो कहते है ,
कि तेरी उड़ान,
इतने नीचे भी कम नहीं होती |
आज रात गुजर रही है,
चाँद भी गोल दिख रहा है ,
पर मेरे कमरे में ,
बिना दोस्तों के ,
आजकल रौशनी नहीं होती |
मेरी तमन्ना है कि ,
साथ ख़तम न हो कभी,
लेकिन ये जो ज़िन्दगी है ,
साज़िश कर रही है ,
ये बेवफा किसी की,
महबूबा नहीं होती |
रास्ते बदल जायेगे,
कल तुम कही ,
और हम कही जायेगे |
पर एक सच यह भी है,
कि मैं नहीं रहूँगा
जिस दिन यहाँ पे,
कही दूर
दफ़न कर देंगे लोग मुझे |
पर तुम आओगे ,
जिस दिन ,
तब गजल होगी ,
एक शाम होगी ,
कुछ धुंआ होगा ,
और थोडा शुरूर भी
ऐसे भी अब ,
दोस्तों के बिना ,
कोई कविता नहीं होती |
6 comments:
Thanks for this poem :)
oye..jo maine jheli itni sari kavitayenn..unka kya..koi credit hi nahi..humara naam bhi aana chahiye ..hume bhi dedication chahiye
खूबसूरत अभिव्यक्ति
शुक्रिया संगीता जी ...
LEKIN YE JO ZINDAGI HAI...SAZISH KAR RAHI HAI!!!!!!shabdo ke JADUGAR kahe to aapko galat nahi hoga?newz thanks for allow me to read~~~!!!!!
@@@@@@
Bahut sunder rachna. such hee hai Doston ke bina kawita nahee hoti.
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