कोई एक ऐसी शाम हो जाए |
की गर तू कभी याद ना आए ,
तो ये शख्स गुमनाम हो जाए |
ज़िन्दगी में तू है, ये बहुत है ,
ये सफ़र थोडा आसान हो जाए |
मैं क्यों तुझे यूँ देखू इस तरह,
कि तू बेवजह बदनाम हो जाए ?
ज़िन्दगी है रुक रुक के चलती है,
तेरी बाहों में ही अब शाम हो जाए |
मैं थक जाता हूँ यहाँ पे आजकल,
अपना कन्धा दे, थोडा आराम हो जाए|
अब तू ही बस बोलती रहे सब कुछ,
मैं सुनु और दुनिया बेजुबान हो जाए |
5 comments:
आपकी हर तमन्ना पूरी हो जाये!!.... बहुत खूब ...
Shukriya kshitija ji....
bahut hi sundar rachna hai.. lagta hai khud se jyada koi aur pyara lagne laga hai :)
धन्यवाद प्रमोद ...
Awesome,Mayank.....I really liked it. Mainly the lines "Mai thak jata hoon yahan pe aajkal, apna kandha de, thoda aaraam ho jaye".....Vah vah vah!!!
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