प्रेम
शायद तुम्हारे लिए
आसक्ति रहा हो,
पर मेरे लिए
कभी अभिव्यक्ति से आगे,
बढ़ ही नहीं पाया |
जब पीछे देखता हूँ,
तो पाता हूँ,
कि छूट गया है,
बहुत कुछ जो हो सकता है ..
आगे जाता हूँ,
तो दया आती है खुद पर .
कि कौन से चौराहे पे खड़ा हूँ,
जिसकी कोई भी राह,
घर को नहीं जाती |
मैं अपने में झाकने से
डरता हूँ,
कि जाने कौन सी याद ,
मुझे फिर से डरा देगी |
मैं तुम्हारे पत्र साथ तो रखता हूँ,
पर पढ़ नहीं सकता,
कि वो पढ़ते हुए,
हौसला टूटने लगता है |
और तुम्हारे चित्र,
मुझे कहते हैं कि,
तुम इतना भी नहीं कर पाए मेरे लिए |
मैं डरता हूँ,
आइना देखने से ,
वो हंसता है मुझ पर,
उसे भी डर नहीं लगता,
कि गर मैं तोड़ दूं उसे |
प्रेमगीत मुझसे कहते है,
तुम नाकाम हो ,
तुम शब्दों कि सुन्दरता को,
समझ ही नहीं सकते |
संगीत मुझे चिढाता है ..
मैं असमर्थ हूँ ,
और खुद से खफा,
टूटा हुआ ,
पर अभी भी उतना ही,
विनम्र हूँ और करीबी ?
मुझे नहीं पता ,
क्या पत्ते से टूटते ,
तुम्हारे प्रेम के इस भागीदार को ,
सम्हालोगे तुम ,
या किसी दिन सुबह,
आँगन में पड़े हुए पत्तो के ढेर सा,
घर के बाहर पटक दोगे,
जिसे सर्दी की किसी सुबह,
लोग आग समझकर,
ताप लेंगे |
चलो कोई तो संतुष्ट होगा मुझसे,
इसी बात पर,
अब टूट के गिरना
ही सही |
19 comments:
बहुत अच्छी रचना, दीपावली की शुभकामनाये
sparkindians.blogspot.com
धन्यवाद मित्र.. आपको भी दिवाली कि शुभकामनाये
बहुत खूबसूरती से लिखे जज़्बात ..
दीपावली की शुभकामनाएँ
धन्यवाद् संगीता जी..
बहुत बहुत धन्यवाद..
आपको भी दिवाली की बहुत बहुत शुभकामनाये ...
apke jajbat mare dil ko chu gaye main bhi aise he parastitityo se gujra hu bada he kathin samay tha wo aaj bhi us se ubharne ki kosish main hu per apne jin sabdo main apne jajbato ki abiwakti ki use syad main bhi nahi kar pata aap ne ek pal main jindgi ke do rang dikha diye ek apne atit ka aur ek prem ka wah to kheh nahi sakta kuki apke jajbato ka ye apman hoga per apke alfajo ka aur apke use blog per utarne ke andaz se main prabhawit hua hu age bhi apki nai kriti ka intjar rahega
धन्यवाद् कुल्वेंद्र जी.. ये तो जीवन है और ऐसा होना आवश्यक है नहीं तो जिंदगी के खाने में नमक की कमी हो जायेगी... आप बस यु कीजिये की अपनी परेशानियों को अपना हथियार बनाइये ... जीवन बहुत धनात्मक है आवश्यक की आप संख्या रेखा पे दाई और ही ध्यान रखे... :)
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाओ के साथ ...
lol....I wanted to read everything but I can't understand a single thing....:(.....
A hug...you need a hug....it's good to jot it all down....
ओह! प्रेम सच कहा है इक आग का दरिया है और डूब कर जाना है……………बेहद खूबसूरत जज़्बात्।
बहुत धन्यवाद् वंदना जी .
आपको भी दीप पर्व की हार्दिक शुभकामनाये
चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी रचना 09-11-2010 मंगलवार को ली गयी है ...
कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया
bahut achhi rachana
dhnyawad ana ji
अच्छा लगा आपके तरीके से जिंदगी को और आपको जानना बहुत गहराई है हर बात में.
prem ko jeeti hui.... samajhti hui sundar rachna!
shubhkamnayen!!!
अधिकृत प्यार का अंत ऐसा ही होता है .... टूट कर गिर जाना और फिर सूखे पत्ते सा जला दिया जाना ... बहुत अछा लिखा है .
खूबसूरत अहसासों को पिरोती हुई, भाव प्रवण अभिव्यक्ति. आभार.
सादर
डोरोथी.
आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद् ..
प्रेम जब भावनाओ से ऊपर जाकर भौतिकता में अटक जाता है, तब उसका अंत तो नहीं पता परन्तु उसकी हालत ऐसी ही होती होगी . केवल मेरी कल्पना है आस पास के लोगो को देखकर, सच तो बेहतर वही जानते होगे जिन्होंने इसे भोगा है ..
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