उनकी ही शख्शियत के नीचे ,
इतना बड़ा नाम हो गया,
उनका ही वजूद दबा पड़ा है ,
अजब है जब कद बढ़ता है,
तब तब नज़र से गिर पड़ते हैं|
अजब है जब कद बढ़ता है,
तब तब नज़र से गिर पड़ते हैं|
इतना बड़ा नाम हो गया,
कि अब बड़ा आम हो गया,
वो चल भी न पाए ठीक से,
उस नाम से सड़क चलती है |
अजब हालात है मौसम के,
सच सुनते पसीने छूटते है ,
जो बर्फ़बारी का दिन था ,
तब दिल जलते हुए देखे है |
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