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Wednesday, November 21, 2012

दुनिया बदल गई है मेरे दोस्त !!


वक़्त के साथ रोज
बदलते - बदलते,
इस तरह बदले हैं,
कि,   
किरदार बदल गए हैं अपने ,

जो कभी जरूरत पे 
जो पुल बन जाते थे ,
वो अब दीवार नजर आते है ,
इस तरह 
असआर बदल गए हैं अपने ...

कभी रास्तों से 
सारे होर्डिंग पढ़ते गुजरना,
और  अब लोगों को पढने लगे है। 
इस तरह,
कारोबार बदल गए हैं अपने ...

कभी हर हाल में ,
हर बात पे  हँसने वाले ,
दुनिया की हँसी का शिकार है ,
इस तरह ,
तिरस्कार बदल गए हैं अपने ...

वो दिन थे जब सच बोलने पे,
पीठ थपथपाने का था रिवाज़ ,
अब हर जुबान पे लगाम है ,
इस तरह ,
पुरुस्कार बदल गए हैं अपने ..

कभी जूते के खुले बंद भी ,
आजादी का अहसास हुआ करते थे ,
अब  तो हर गले में पट्टा है,
इस तरह ,
पैरोकार  बदल गए हैं अपने ..

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