कभी उरूज है यहाँ, कभी जवाल है ..
ये जो खेल तारीखी है, बेमिसाल है |
मश्क हुई तारीख में गुम अफ़साने,
सूफी है, कहीं मुजरिम का ख़िताब है |
क्या गुजर गया पीछे मेरे आने तक ,
झूठ है या सच है, जो है बेहिसाब है |
क्या बताया, छुपाया गया हमसे ,
ये तो मेरा वक़्त से बड़ा सवाल है |
ये जो खेल तारीखी है, बेमिसाल है |
मश्क हुई तारीख में गुम अफ़साने,
सूफी है, कहीं मुजरिम का ख़िताब है |
क्या गुजर गया पीछे मेरे आने तक ,
झूठ है या सच है, जो है बेहिसाब है |
क्या बताया, छुपाया गया हमसे ,
ये तो मेरा वक़्त से बड़ा सवाल है |
ये जो खेल तारीखी है, बेमिसाल है,
गोया सच की शकल में सिर्फ बवाल है |
गोया सच की शकल में सिर्फ बवाल है |
1 comment:
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