सुना है कभी,
धन और धन का
ऋण हो जाना,
क्योंकि,
जीवन गणित नही है,
लेकिन सूत्र दोनो के है,
तुम्हारा मानना
कि तुम ही सही हो,
मेरा मानना
कि मैं ही सही हूँ,
घटा देते हैं
सत्य को,
तथ्य पे,
और बीत जाता है,
समय,
"हेन्स प्रूव्ड",
लिखते लिखते।
~mg
धन और धन का
ऋण हो जाना,
क्योंकि,
जीवन गणित नही है,
लेकिन सूत्र दोनो के है,
तुम्हारा मानना
कि तुम ही सही हो,
मेरा मानना
कि मैं ही सही हूँ,
घटा देते हैं
सत्य को,
तथ्य पे,
और बीत जाता है,
समय,
"हेन्स प्रूव्ड",
लिखते लिखते।
~mg
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