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Monday, December 19, 2011

wife's initial effort to write a poem ...

कई यादें अब याद नहीं,
कई साथी अब साथ नहीं,
जिंदगी बिन तुम्हारे भी मुमकिन है ख्वाब नहीं |

वो हर ख्वाहिश से जुड़ा एक सपना ,
और हर सपने से जुडी एक ख्वाहिश,
जिंदगी उन सपनो के बिना भी आबाद है नाबाद नहीं |

यादें तो कुछ अब भी हैं ,
पर शायद उन यादों से जुड़े चेहरे बदल गए
सपने तो आँखें अब भी देखती हैं ,
पर शायद उन सपनो से जुड़े जज्बात बदल गए |


तुम फिर याद आओगे तो याद आएगा कोई सपना ,
पर फिर उस सपने को ओझल कर जाएगा कोई अपना
लगता है सपनो पर भी अधिकार बदलते हैं ,
जिंदगी से जुडी ख्वाहिशें और उनसे जुड़े ख्वाब भी बदलते हैं |


-Neha Sharma

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