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Tuesday, September 29, 2009

Haar

कुछ हारों के बाद,
खत्म नहीं होता संसार ..
क्योकि बहुत बड़ा है जीवन,
संभावनाए है अपार,
तो कैसे मान लिया जाए ,
कि खो दिया है मैंने ,
जीत का अधिकार !

नींदे भी जीवन के दिनों के बराबर है,
जितने दिन जीवन है उतनी ही राते हैं साथ
हर रात को सोयिये बेखबर, बेपरवाह,
हर सुबह मिलेगे नए सपने तैयार !

हार ज्यादा अपनी होती है,
आपको भी याद रहती है,
और दूसरो को भी,
उनकी जीत से ज्यादा,
आपकी हार की फ़िक्र होती है !

फिर क्यों हार को समझ नहीं पाते..
कितने लोग खुश रहेंगे ,
बस आप हारते जाइए

इसीलिए मेरी बात मानिए ..
हार को अपना हार बनाइये,
और कुछ नए सपनो के लिए ,
एक लम्बी नींद सो जाइए..

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