मैं तुमको समझने की कोशिश में,
खुद को समझ रहा हूँ.
यूँ लगता है कि मैं ,
खुद को खोल के पढ़ रहा हूँ |
कुछ उलझी - सुलझी सी ,
आधी - अधूरी सी,
कहानी की तरह ,
तुम एक पहेली जैसा ,
अंत हो मेरा |
मेरे सारे कयास,
मेरे सारे अनुमानों को ,
झुठला देती हो तुम .
कई बार खुद उलझकर ,
मुझको सुलझाती हो तुम |
कभी कथा व्यथा,
कुछ सुनी अनसुनी ,
कविता की तरह ,
तुम एक पंक्ति का ,
अंत हो मेरा |
मेरी सारी कमियों को ,
कितनी आसानी से
छुपा देती हो तुम |
कई बार खुद को खोलकर,
मुझे पढ़ाती हो तुम |
तुम जीवन हो,
उलझन हो,
अनबन हो ,
सौंदर्य हो ,
पूर्णता हो |
अपने सारे प्रयासों से भी ,
जो न कर सका ,
मेरे उस अपूर्ण स्वप्न का
अंतिम जरिया हो तुम |
तुम शरीर नहीं ,
आत्मा हो ,
और उस पर किसी का
अधिकार नहीं ,
फिर भी कितनी चंचल ,
मोहक ,
महक,
हंसी हो तुम |
तुम केवल तुम हो ,
तुम रौशनी,
तुम उम्मीद ,
तुम आशा,
और तुम्ही अंत हो |
तुम्हे पता है कि,
मैं क्या हूँ ,
फिर भी
इस रास्ते के पत्थर का
देवता हो तुम |
मैं धूल ही सही ,
जो उड़ता हूँ ,
इधर उधर ,
फिर भी तुम तक पहुँचता तो हूँ ,
चाहे हर बार कोई मुझे ,
वहां से पोछ दे ,
पर मैं ,
कोई अवसर नहीं छोड़ता ,
तुम तक पहुचने का |
मैं हसरत,
मैं उम्मीद ,
मैं सपना
बनकर जीना चाहता हूँ |
मैं तुम्हारे स्पर्श को ,
अपने पास रखना चाहता हूँ |
तुम तक नहीं ,
तुम्हरी आत्मा तक
पहुचना चाहता हूँ |
तुम्हारी सारी सफलताए ,
खुशियाँ ,
मेरे लिए धरोहर है ,
सारे जीवन के लिए
उस याद को संजोकर,
अपनी स्मृति में रखना चाहता हूँ |
तुम जीवन हो,
श्वाश,
धड़कन,
चेतना ,
और तुम्ही सप्न्दन हो |
तुम हल हो
जीवन कि पहेली का ,
सारी समस्याओं का
समाधान हो तुम |
तुम हो तो ,
ईमान है ,
तुम कारण हो ,
मेरे उजलेपन का ,
तुम मेरे ईमान का कारण हो |
मेरे अकेलेपन में भीड़ हो तुम ,और भीड़ में मेरा अकेलापन |
तुम्ही कल्पना,
तुम्ही वास्तविकता ,
तुम्ही स्वप्न,
तुम्ही स्पर्श,
तुम्ही सनिध्याम
तुम देवत्व हो ,
तुम्हारा हलके से खुद को नकारना ,
मुझे समझाना,
खुद को उलझाना ,
तुम सीमा हो एहसान की,
और मैं कृतज्ञ हूँ ,
तुम्हारे साथ के लिए ,
जरूरत के वक़्त
बड़े हुए उस हाथ के लिए |
रोते वक़्त ,
कंधे के साथ के लिए |
मेरे लिए ,
तुम कविता हो,
कहानी हो,
और शायद
पूरा एक काव्य हो |
पर जो भी हो तुम ,
मुझे इतना पता है ,
कभी चाहे ,
तुम कितनी भी ,
कठिन,
अबूझ,
मुश्किल,
क्लिष्ट हो जाओ ,
सबके लिए ,
पर उन सबसे अलग,
मेरे लिए आसान हो ,
और शायद इस जीवन में ,
सबसे महत्त्वपूर्ण ,
या,
एक शब्द में कहना चाहू ,
तो ,
अमूल्य हो तुम |
-- मयंक गोस्वामी
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