दुःख से दुःख के बीच एक हंसी ही तो फासला है,
वर्ना अब तक तेरे मेरे बीच में और बदला क्या है |
सपनो की दुनिया में नींद नहीं आती थी तुमको,
और अब नींद में तुमने सपनो को ही तो बदला है |
कितने अफ़साने अब बाकी रह गए तेरे मेरे बीच,
इन सारी कहानियो का एक ही तो फलसफा है |
सच जानले कि मैं नहीं बदला पर तुझे ये दिक्कत है,
तेरे लिए मेरी शख्सियत का सच ही तो बदला है |
मैं टूटकर यूँ ही इधर उधर बिखरता भी रहू तो क्या,
तेरे लिए तो तस्वीर का सिर्फ फ्रेम ही तो बदला है |
मैं इतना नकारा नहीं समझा गया पहले कभी भी,
लेकिन इस बार देखो तो हवाओं ने क्या रुख बदला है |
2 comments:
MAYANK JI AAPKI KAVITA MAIN TUTE HUE DIL KI CHATPATAHT HAI .
MAIN ITNA NAKARA ..... KYA RUKH BADLA HAI . APRATIM ,BAHUT SUNDER ABHIVYKTI BHAVNAON KI . EK SUNDER KAVITA KI BADHAI SVIKARAIN .
बहुत बहुत शुक्रिया
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