कविताएं और भी यहाँ ..

Friday, November 27, 2009

saamna

आंधियो के बीच खड़े

उस पेड़ को देखो,
हजारो बार झुका है,
जीता नहीं फिर भी खड़ा है
हारा है तो क्या हुआ,
कह तो सकता है,
कि देखो,
चाहे कमजोर हूँ मैं,
पर मैंने हर बार लड़ा है

साहिल पे वजूद खोती,
लहरों का जज्बा,
भी क्या अजीब है,
उसने भी किनारे की,
उस चट्टान को,
तोड़ने का सपना लिया है
और उस लहर का,
सामना करने को,
वह पत्थर भी सदियों से,
वही पड़ा है |

और एक मैं हूँ,
जो कहता हूँ की,
बिखर जाने दो मुझे,
ये वक़्त मुझे,
तोड़ने पे तुला है |

किसने लहरों से सीखा है,
हर बार वजूद खोया,
तो क्या हुआ ,
अगली कोशिश में,
हर बार जोश ही
दुगुना किया है  |
और कभी उस चट्टान की,
जिद को देखो,
वह कब लहर के ,
रास्ते से हटा है  |

Wednesday, November 25, 2009

एक टुकड़ा अरमान !

मैं चला था
जानिबे मंजिल,
लेकर बस इतना सा सामान;
टुकड़ा टुकड़ा जीना,
टुकड़ा टुकड़ा अरमान,
टुकड़े टुकड़े ज़िन्दगी,
और
एक मुट्ठी आसमान |

फिर तुम आये,
कुछ तार जोड़े तुमने ,
कुछ और टुकड़े लाकर,
मेरे जीवन को किया पूरा,
मेरे अरमानो को
आकार दिया  |
और फिर कर दी,
जाने की बात,
ना लौट के आने की बात |
भूल गए तुम,
की मुट्ठी अभी भी बंद है,
तुम्हारे हाथो तले |
तुम ले गए ,
जाते जाते,
वो सारा आसमान,
बस रह गया मैं,
एक टुकड़ा अरमान,
और,
तेरा ढेर सारा एहसान !

Thursday, November 19, 2009

दीवारे

मैं जब होता हूँ अकेला

और खाली हाथ |

मैं सोचता हूँ,
जब अँधेरे के बारे में |

अपना सा लगता है,
मुझे दीवारों का चुपचाप
खड़ा रहना |

बिना शिकायत, सर उठाये ,
किसी की भी फिक्र से ऊपर,
खुद से बेखबर,
कभी किसी के लिए सहारा,
और कभी किसी के लिए छाव  |

दीवारे बोलती नहीं,
जवाब नहीं देती,
कभी कोई व्यंग्य नहीं,
दीवारे चुप रहती है
और
मिलाती है
हां में हां
या ना,
कोई नहीं जानता |

लेकिन सबसे अच्छी साथी है
क्योकि
चुप रहती है,
और
अहंकार का मान
रखती है,
सब कुछ चुपचाप सुनकर |

Monday, November 16, 2009

tum

तेरे होने से जीवन में कुछ ऐसा नया सा है ,

कि तेरे न होने का सोच के ही डर जाता हूँ मैं |
तुम मेरी हर बात को अर्थ देते हो सदा नया ,
तेरे न होने से बेमतलब सा हो जाता हूँ मैं

Thursday, November 12, 2009

तुम्हारे , टूटे हुए कुछ बाल

तुम्हारे ,
टूटे हुए कुछ बाल ,
हवा में इधर उधर ,
उड़ते है जब .
एक कहानी साथ लेकर
चलते है !

वो तुमने जिन्हें ,
इतने जतन से
सम्हाला था कभी .
अब वो एक
फ़साना
बन के रह गए ..
कभी जो उड़ते हुए
मेरे कंधे पर
आते है ..
उन
टूटे हुए बालो सा मैं
तुमसे जुदा होना
नहीं चाहता ...
इन्हें
सम्हालना ,
सवारना ,
तुम्हारा ही
अधिकार  है ,
और इनकी तरह
मेरी भी फ़िक्र
बनी रहे तुम्हे
येही
मेरा स्वप्न !!

मैं रहूँगा
एहसानमंद
अगर उन टूटे
हुए बालो को देखकर ,
तुम मुझे याद करो ,
कि मैं भी इतना ही ,
ऐसा ही
करीबी था
तुम्हारा,
और
इतना ही अभिन्न ,
जिसे
एक दिन दूर जाना
पड़ेगा ,
इन टूटे हुए
बालो की तरह ..
टूटकर ...
लेकिन ,
मेरे रहने से लेकर
जाने तक के वक़्त में ,
तुम्हारे हाथ   ही ,
छुएंगे ,
मुझे आखिरी बार भी ||

Thursday, November 5, 2009

मेरे चार शब्द,

मेरे चार शब्द,
सारे जीवन की रचना करते है,
बहुत सीमित दायरे में है,
पर सिमटे हुए नहीं है,
मेरे चार शब्द |
पहला शब्द,
भावनाओ को अभिव्यक्ति देता है,
मेरा दूसरा शब्द ,
यथार्थ को अर्थ देता है,
मेरा तीसरा शब्द,
विशमताओ को व्यर्थ कहता है,
पर मेरे चौथे शब्द की,
कोई स्पष्ट पहचान नहीं है .
मेरी कविता में ,
कोई विशेष स्थान नहीं है
पर न जाने क्यों लगता है
की खोज जारी है
पर इतना मुझे मालूम  है,
चाहे खोजा जाए ,
या न खोज पाए ,
मेरी कविता तभी आकार लेती है ,
जब वह यहाँ रहता है,
कौन,
मेरा चौथा शब्द,
निश्छल, निष्कपट, निष्तब्ध  ||
तुम हारे या कदम थके तो,

जीवन व्यर्थ चला जाएगा

तुम रुके या तुम भागे तो,
श्रम का अर्थ बदल जायेगा

तुमने जो युद्ध बिच में छोडा
तो भ्रम को जीवन मिल जाएगा

तुम्हारा क्या था क्या जाएगा
बस जीवन का सत्य बदल जाएगा

सत्य बदल जाने पे,
शायद यह जीवन तो रह जाएगा,

पर लक्ष्य मृत हो जाएगा
बिना किया कुछ इस मृत जीवन को,

कोई स्वपन मेरा ही ले जाएगा
जीवन की इन अंतिम गाडियों पे,

मेरा जीवन सारी कल्पना ,
और स्वप्ना वास्तविक हो जाएगा

यही वही फिर दिन होगा,
जब अर्थ का अर्थ बदल जाएगा |

Wednesday, November 4, 2009

तुम बहुत बड़ा बनना

तुम बहुत बड़ा बनना

इतना बड़ा
कि आकाश छू सको |
लेकिन उसको छूने की चाह में ,
पैरो की जमीन मत छोड़ना
जब उठना हो ऊंचा,
तो मुझसे कहना,
मैं गोद में उठा लूँगा तुम्हे,
और तुम्हारी जमीन को ,
सलामत रखूँगा
अपने पैरो के तले |
~-मयंक 

Tuesday, November 3, 2009

tum aur main

ना तुम कुछ बोलो ... ना हम कुछ सुने ..
इसका मतलब तो ये नहीं की बात पूरी नहीं है .

कभी समझने के लिए इतना वक़्त नहीं चाहिए,
ये दिल की बात है , तुम गुनगुनाओ मैं गाऊंगा
तेरे अन्दर अगर दुनिया देखी है मैंने अपनी ,
तुम जगह न दोगे तो राह में भी सो जाऊँगा ..

तेरी हर बात पूरी करने को अल्फाज़ मेरे पास है ,
बस तुम सोचते जाना , मैं दिल में लिखता जाऊँगा ...
मैं तुम्हारी ज़िन्दगी का सच हूँ मेरे दोस्त ,
इसे ज्यादा मत उलझाना , मैं गुम हो जाऊँगा