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Thursday, November 5, 2009

तुम हारे या कदम थके तो,

जीवन व्यर्थ चला जाएगा

तुम रुके या तुम भागे तो,
श्रम का अर्थ बदल जायेगा

तुमने जो युद्ध बिच में छोडा
तो भ्रम को जीवन मिल जाएगा

तुम्हारा क्या था क्या जाएगा
बस जीवन का सत्य बदल जाएगा

सत्य बदल जाने पे,
शायद यह जीवन तो रह जाएगा,

पर लक्ष्य मृत हो जाएगा
बिना किया कुछ इस मृत जीवन को,

कोई स्वपन मेरा ही ले जाएगा
जीवन की इन अंतिम गाडियों पे,

मेरा जीवन सारी कल्पना ,
और स्वप्ना वास्तविक हो जाएगा

यही वही फिर दिन होगा,
जब अर्थ का अर्थ बदल जाएगा |

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