कविताएं और भी यहाँ ..

Thursday, November 5, 2009

मेरे चार शब्द,

मेरे चार शब्द,
सारे जीवन की रचना करते है,
बहुत सीमित दायरे में है,
पर सिमटे हुए नहीं है,
मेरे चार शब्द |
पहला शब्द,
भावनाओ को अभिव्यक्ति देता है,
मेरा दूसरा शब्द ,
यथार्थ को अर्थ देता है,
मेरा तीसरा शब्द,
विशमताओ को व्यर्थ कहता है,
पर मेरे चौथे शब्द की,
कोई स्पष्ट पहचान नहीं है .
मेरी कविता में ,
कोई विशेष स्थान नहीं है
पर न जाने क्यों लगता है
की खोज जारी है
पर इतना मुझे मालूम  है,
चाहे खोजा जाए ,
या न खोज पाए ,
मेरी कविता तभी आकार लेती है ,
जब वह यहाँ रहता है,
कौन,
मेरा चौथा शब्द,
निश्छल, निष्कपट, निष्तब्ध  ||

1 comment:

kishore ghildiyal said...

bahut badiya likha hain aapne ........char shabd
jyotishkishore.blogspot.com