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Thursday, December 24, 2009

तेरे कारण ...

शुक्र है कि किसी इन्तजार में उम्मीद जिन्दा है ..
गर उम्मीद जिन्दा हो तो दिल में डर नहीं आता |

तुम्हारी याद आये न आये, दिन तो गुजर जाता है,
मुद्दा तो ये है कि दिल से तेरा ख्याल क्यों नहीं जाता |

एतिहायत जो बरतनी है तुझसे दूरी निभाने की,
वर्ना तुझे देखके मैं यूँ कभी पीछे वापस नहीं जाता  |

प्यास को दरिया में डुबाने की कोशिशों के बाद भी,
जाने होठो से आंसुओ का ये स्वाद क्यों नहीं जाता  |

कितनी तमन्नाये मचली और ख़तम भी हो गई वही पे ..
बस इन आँखों से एक तेरा ही सपना नहीं जाता ..|

यहाँ मेरे नाउम्मीद होने की सारी कोशिशे बेमतलब है ...
तू है या तेरी दुआए है, मैं ढंग से बर्बाद भी नहीं हो पाता |

1 comment:

मनोज कुमार said...

बहुत अच्छी रचना। क्रिसमस पर्व की बहुत-बहुत शुभकामनाएं एवं बधाई।