ये साल भी गुजर गया ,
एक हवा के झौके की तरह ,
रात के एक सपने की तरह ,
अचानक छलक आये आंसुओ सा ,
आते जाते लोगो की तरह ,
रास्तो की तरह ,बादलो की तरह ,
धुप के जैसा , छाव की तरह ..
ये साल भी गुजर गया ..
ये साल मेरे लिए
उतना ही ख़ास रहा है ,
हर गुजरे हुए साल कि तरह ,
मेरे ख्वाबो का गवाह रहा है
नींद की तरह साथ रहा है ..
मेरी सारी इच्छाओ का आगाज़ रहा ,
हर गुजरे साल की तरह ,
ये जो साल भी गुजर गया ..
कभी तमन्ना इन्तेजार करती रही,
कभी वक़्त का ख्वाब रहा ..
कभी दोस्तों ने घेरा हुआ था ..
कभी तन्हाई ने साथ दिया ,
बस हमने मुडके न देखा ...
कभी ज़िन्दगी चुपचाप गुजरी ,
कभी हम गुजर गए बिना देखे,
और यु गुजरे की समझ ही न सके
इस गुजरे हुए साल की तरह |
1 comment:
last year ki tarah is saal bhi aisi he mast kavitayein likhte raho.........
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