कविताएं और भी यहाँ ..

Wednesday, December 9, 2009

उलझन


सुकून  की  तलाश  में
यहाँ  सुकून  खो  गया  |
उलझनों  का नाम ही,
अब ज़िन्दगी हो गया |
जीते  है  लोग  यहाँ ,
औरो  की  आँखों  के
सपनो  के  लिए  |
बेगाने  सपनो  को  ही
ज़िन्दगी  का  सारा
अरमान दे  दिया    |
समंदर  भीग  रहे  है ,
अपनी  ही  लहरों  से  ..
और  कहीं  सूरज  की
जल्दी घर जाने की जिद ने
चाँद  को रात भर,
पहरेदारी  का  काम  दे  दिया |

No comments: