सुकून की तलाश में
यहाँ सुकून खो गया |
उलझनों का नाम ही,
अब ज़िन्दगी हो गया |
उलझनों का नाम ही,
अब ज़िन्दगी हो गया |
जीते है लोग यहाँ ,
औरो की आँखों के
सपनो के लिए |
बेगाने सपनो को ही
ज़िन्दगी का सारा
अरमान दे दिया |
समंदर भीग रहे है ,
अपनी ही लहरों से ..
और कहीं सूरज की
जल्दी घर जाने की जिद ने
चाँद को रात भर,
पहरेदारी का काम दे दिया |
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