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Friday, December 4, 2009

पड़ाव

सुबह का सूरज,
दोपहर का सूरज,
शाम का सूरज  |

सुबह रण में जाता हुआ योद्धा
दोपहर आग बरस|ता हुआ योद्धा,
शाम को वीरगति पता हुआ योद्धा |
यही तो जीवन के पड़ाव है,
जो सूरज एक दिन में दिखा देता है  ||

1 comment:

मनोज कुमार said...

बेहतरीन। बधाई।