कैसे भूल जाऊ कि ,
तू मेरा ही एक हिस्सा है |
कैसे भूल जाऊ कि
तुने ही पूरा किया है |
वो तेरा मुझ पर
खिलखिला के हसना ,
मेरे बालो पे तेरी ,
अंगुलिया फिराना |
मुझको गले लगाना
और देर तक रोना ,
मैं कैसे भूल जाऊ |
कभी रातो में जागकर ,
खाना पकाना ,
मुझको खिलाना ,
खुद भूखा सो जाना ,
मैं कैसे भूल जाऊ |
सारी रात जागकर ,
मेरा कुछ भी सुनाना
तेरा उफ़ भी न करना ,
सिर्फ मुस्कुराते जाना |
होने लगे गर चिड इससे ,
फिर भी हाँ मिलाना
तेरी बाहों में ही ,
फिर थक के सो जाना |
मैं कैसे भूल जाऊ |
कभी अकेले में अपने
सारे राज बताना |
मुझसे मेरा हर ,
राज चुरा ले जाना |
कभी मुझे छूना ,
कभी छूने न देना ,
कभी मेरे कंधे पे ,
टिक कर ही दिन बिताना
मैं कैसे भूल जाऊ |
आज दूर है तू ,
तेरी याद पास है ,
मुझे भूख भी अब
तेरी तस्वीर के ख्याल
के साथ ही आती है |
मैं जब सोता हूँ ,
तो चादर बन जाती है |
कभी मैं तुझे
बिछा लेता हूँ ,
कभी तू मुझे
ओढ़ के सो जाती है |
मैं कैसे भूल जाऊ |
तू मेरी आदत
हुआ करती थी कभी ,
अब मेरी खामोशी
बन जाती है |
कभी मेरी
जागती आखों का
शौक थी तू ,
और आज नींद में
सपने सी
जरूरत बन जाती है
मैं कैसे भूल जाऊ |
मैं कैसे भूल जाऊ ,
कि तू मेरी माँ जैसी हो ,
और कभी मेरी साथी
बन जाती है ..
मेरे जीवन का हर
समाधान हो तो तुम ,
मैं जब कभी
प्रश्न होता हूँ
तब तु मेरी लिए
उदाहरण बन जाती है ..
मैं कैसे भूल जाऊ तुम्हे ...
2 comments:
रचना अच्छी लगी ।
awsome dost!!!!!!
heart touching....
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