तुम
जाने किसकी किस्मत हो ,
पर जान लो ,
की तुम मेरी भी हसरत हो |
मैं हकीकत का भरोसा
कैसे करू ,
जब,
तुम साँसों की तरह
ज़िन्दगी की जरूरत हो |
तुमको जानने का
जितना वक़्त मिला है मुझे,
तुम उस वक़्त की
मुझको नियामत हो |
क्या हुआ
जो वक़्त कम मिला,
हर किसी से यहाँ पे,
तुम उन चंद,
लम्हों की
मेरे लिए हिदायत हो |
ये नवाजिश है
ये जान नहीं पाया |
तुम ,
मेरे लिए ,
जिंदगी की साजिश हो,
या फिर,
ज़िन्दगी भर की,
मोहलत हो ....
1 comment:
अच्छी अभिव्यक्ति।
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