कविताएं और भी यहाँ ..

Sunday, October 18, 2009

मैं चला जानिबे मंजिल ,
लेकर बस इतना सा सामान
टुकड़े टुकड़े जीना ..
टुकडा टुकडा अरमान
टुकडा टुकडा ज़िन्दगी
और एक मुट्ठी आसमान ...

5 comments:

Sanjay Grover said...

हुज़ूर आपका भी एहतिराम करता चलूं.........
इधर से गुज़रा था, सोचा, सलाम करता चलूं....
www.samwaadghar.blogspot.com

Mayank said...

Shukriya !!!

डॉ. राधेश्याम शुक्ल said...

poora aasman muthhee men rakhen, badhayee.

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

wah ! javab nahi. narayan narayan

अजय कुमार said...

swagat hai blog jagat me