कत्ल और वध के मतलब में उलझ रहा हूँ..
आजकल मैं गीता औ' कुरान पढ़ रहा हूँ |
मुझे ये मतलब समझ में नहीं आते जब..
इसीलिए लोगो को ये बातें समझ रहा हूँ |
मुझे इंसान बनना था, लेकिन सारा फायदा,
फिरकापरस्त होने में ही समझ पा रहा हूँ |
देखो मुझे ही आज ये सारा ज़हर पीना है ..
मैं अपनी इंसानी हैवानियत को बढा रहा हूँ|
इंसान होने में इंसानियत नज़र नहीं आती
अब मैं भी खुदको मज़हबी बना रहा हूँ |
अब मुझे तरक्की ही तरक्की दिख रही है,
मैं भी कुछ लोगो का भगवान बन रहा हूँ |
2 comments:
bahut sundar ...
shukriya chintan ji...
bahut bahut shukriya..
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