मेरी प्यास को किसी दरिया कि तलाश है \
आँखों को लगता है कि कोई ख्वाब आस पास है ...
मैं तनहा नहीं हूँ यहाँ हर किसी की तरह ,
ये तो आदतन अकेले होने का अहसास है ..
मेरी कहानियो का अंत मैं ही नहीं जानता ...
लिखता तो मैं हूँ पता नहीं कलम किसके पास है..
मैं जिसको समझता हूँ सबसे अजीज दिल के करीब,
ये जख्म जो दिख रहा है उसी का उधार है...
मेरी राहो में इतने चौराहे किसने बना डाले है..
मैं नहीं जानता कौन मेरी इस जिन्दगी का ठेकेदार है
6 comments:
bahut sahi dost ... bahut pyari lines hai..
lage raho.. aur likhte raho
मैं तनहा नहीं हूँ यहाँ हर किसी की तरह ,
ये तो आदतन अकेले होने का अहसास है ..
बहुत खूब .....!!!
शुक्रिया हरकीरत जी .. बहुत बहुत शुक्रिया
बहुत ही खुबसूरत पंक्तियाँ हैं
Dhanyawaad Manish...
adatanan acha likhne lage ho aap...:)
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