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Sunday, October 18, 2009

main nahi jaanta

मेरी प्यास को किसी दरिया कि तलाश है \
आँखों को लगता है कि कोई ख्वाब आस पास है ...
मैं तनहा नहीं हूँ यहाँ हर किसी की तरह ,
ये तो आदतन अकेले होने का अहसास है ..
मेरी कहानियो का अंत मैं ही नहीं जानता ...
लिखता तो मैं हूँ पता नहीं कलम किसके पास है..
मैं जिसको समझता हूँ सबसे अजीज दिल के करीब,
ये जख्म जो दिख रहा है उसी का उधार है...
मेरी राहो में इतने चौराहे किसने बना डाले है..
मैं नहीं जानता कौन मेरी इस जिन्दगी का ठेकेदार है

6 comments:

Pramod Sharma said...

bahut sahi dost ... bahut pyari lines hai..
lage raho.. aur likhte raho

हरकीरत ' हीर' said...

मैं तनहा नहीं हूँ यहाँ हर किसी की तरह ,
ये तो आदतन अकेले होने का अहसास है ..

बहुत खूब .....!!!

Mayank said...

शुक्रिया हरकीरत जी .. बहुत बहुत शुक्रिया

Manish Nigam said...

बहुत ही खुबसूरत पंक्तियाँ हैं

Mayank said...

Dhanyawaad Manish...

simi said...

adatanan acha likhne lage ho aap...:)