और  छोड़ देना चाहता हूँ,
 कोशिश, 
गंभीर होने की,
 व्यापक,
 निरर्थक उत्तर  की तरह| 
बस कुछ ऐसा, 
की जो निकले ,
 तो बाकी सभी ,
 उसे हल करे, 
मैं खुद को,
 तलाशना बंद करके ,
 ये जिम्मेदारी, 
अब औरो को देकर,
 एक प्रश्न की तरह, 
सदैव , 
बना रहना चाहता हूँ, 
की हर नयी पीढी,
 आये, 
मेरा उत्तर खोजे, 
मुझे हल करे, 
और मैं हमेशा वही रहू, 
इसीलिए मैं  प्रश्न बनना चाहता हूँ !!

 
 
3 comments:
एक नई सोच, उम्दा रचना। बधाई।
शुक्रिया मनोज जी..
कोई सुधार की गुंजाइश हो तो, अवश्य बताइयेगा :)
अति उत्तम दोस्त
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